खतरा नागरिकों की निगरानी का

भारत ऐसा देश है, जिसका एक जीवंत संविधान है। यही नहीं, हम सबके पास संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार हैं, जिनमें जीने का अधिकार भी शामिल है। इसमें कहा गया है कि देश की संप्रभुता और सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ दोस्ताना रिश्तों, शालीनता तथा नैतिकता की रक्षा के लिए तथा किसी संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए सरकार अपने इस अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है। एक संप्रभु देश होने के नाते भारत सरकार के पास सूचना तकनीक कानून, 2000 की धारा 69 के तहत इलेक्ट्रॉनिक सूचनाओं को रोकने का अधिकार है। इलेक्ट्रॉनिक डाटा को रोकने से संबंधित विस्तृत मानक भारतीय सूचना तकनीक कानून में दिए गए हैं। हालांकि इसका ध्यान रखना ही होगा कि किसी के खिलाफ यह कानून लागू करते हुए उन मानकों का अनुपालन किया जाए, जो हमारे कानून के अनुरूप हों। अगर ऐसा हुआ, तो यह सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए खतरनाक नहीं होगा, जिनके डाटा पर निगरानी रखे जाने की आशंका है, बल्कि व्यापक अर्थ में यह हमारी स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के लिए भी एक बड़ा खतरा होगा। लेकिन जासूसी के मौजूदा खुलासे को देखते हुए यह कहना पड़ता है कि अगर निगरानी या जासूसी करने की इस प्रवृत्ति पर तत्काल प्रभाव से रोक नहीं लगाई गई, तो यह राज्य द्वारा अपने लोगों की जासूसी करने के एक विराट तंत्र में तब्दील हो सकती है। इसलिए इस मामले में सभी हितधारकों को अपनी निजता को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए एकजुट होना चाहिए और उनको इस बारे में एकमत होना चाहिए कि वे गैरकानूनी ढंग से निगरानी के शिकार नहीं बनेंगे